आओ बालाजी,
आओं बालाजी,
दर्शन को प्यासे हैं नैना,
दर्श दिखाओ जी,
आओं बालाजी आओं बालाजी ॥
निशदिन गुणगान करूँ,
तेरा ही ध्यान धरूँ,
गिरूं सौ बार मगर,
नज़रों से ना तेरे गिरूं,
जीवन मेरा सफल बनाओ,
झलक दिखाओ जी,
दर्शन को प्यासे हैं नैना,
दर्श दिखाओ जी,
आओं बालाजी आओं बालाजी ॥
सालासर तेरा है,
मेहंदीपुर तेरा है,
जहाँ हर कण कण में,
तेरा ही बसेरा है,
मेरे मन के मंदिर में भी,
धाम बनाओ जी,
दर्शन को प्यासे हैं नैना,
दर्श दिखाओ जी,
आओं बालाजी आओं बालाजी ॥
ज्ञान के सागर हो,
सियाराम के चाकर हो,
हो किनारा तुम ही प्रभु,
तुम ही भव सागर हो,
‘राशि’ की अर्ज़ी स्वीकारो,
लाज बचाओ जी,
दर्शन को प्यासे हैं नैना,
दर्श दिखाओ जी,
आओं बालाजी आओं बालाजी ॥
आओ बालाजी,
आओं बालाजी,
दर्शन को प्यासे हैं नैना,
दर्श दिखाओ जी,
आओं बालाजी आओं बालाजी ॥
नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नंदभवन में उड़ रही धूल,
धूल मोहे प्यारी लगे ॥
संसार के सभी जीव-जंतु जीवित रहने हेतु भोजन पर निर्भर रहते हैं। सनातन हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा को अन्न के भंडार और इसकी पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी अन्नपूर्णा की पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा है।
आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।