ये सारे खेल तुम्हारे है,
जग कहता खेल नसीबों का,
मैं तुझसे दौलत क्यूँ मांगू,
मैंने सुना तू यार गरीबों का ॥
तेरी दीन सुदामा से यारी,
हमको ये सबक सिखाती है,
धनवानों की ये दुनिया है,
पर तू निर्धन का साथी है,
दौलत के दीवाने क्या जाने,
तू आशिक सदा गरीबों का,
मैं तुझसे दौलत क्यूँ मांगू,
मैंने सुना तू यार गरीबों का ॥
नरसी ने दौलत ठुकराकर,
तेरे सा बेटा पाया था,
तुने कदम कदम पर कान्हा,
बेटे का धर्म निभाया था,
कोई माने या प्रभु ना माने,
पर तू करतार गरीबों का,
मैं तुझसे दौलत क्यूँ मांगू,
मैंने सुना तू यार गरीबों का ॥
प्रभु छमा करो ‘रोमी’ सबको,
तेरे राज की बात बताता है,
तु सिक्के चांदी के देकर,
हमे खुद से दूर भगाता है,
तेरी इसी अदा से जान गया,
तुझको ऐतबार गरीबों का,
मैं तुझसे दौलत क्यूँ मांगू,
मैंने सुना तू यार गरीबों का ॥
ये सारे खेल तुम्हारे है,
जग कहता खेल नसीबों का,
मैं तुझसे दौलत क्यूँ मांगू,
मैंने सुना तू यार गरीबों का ॥
हिंदू धर्म में शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि का पर्व सबसे उत्तम माना गया है।
गुप्त नवरात्रि के छठे दिन माता छिन्नमस्ता की उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में महाविद्या बगलामुखी की पूजन विशेष तंत्र साधना का समय होता है।
महाविद्या त्रिपुर भैरवी को काली का स्वरुप माना गया है। त्रिपुर भैरवी के अनेकों नाम हैं और देवी की अनेक सहायिकाओं को भैरवी रुप में भी जाना जाता है।