हनुमान चालीसा न केवल एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, बल्कि यह विश्वास, शक्ति और समर्पण का प्रतीक भी है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह चालीसा श्री हनुमान जी की महिमा का बखान है। इसकी हर चौपाई में ऐसी ऊर्जा छिपी है, जिससे न केवल मानसिक बल मिलता है, बल्कि जीवन के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चार॥
अर्थ:
मैं अपने मन रूपी दर्पण को गुरु के चरणों की धूल से साफ कर रामजी के पवित्र यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – देने वाला है।
॥ चौपाइयांं ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिन्हु लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
अर्थ:
हे हनुमान! आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं। तीनों लोकों में आपकी महिमा उजागर है। आप रामजी के दूत हैं और अपार बलशाली हैं। आपका नाम अंजना और पवनदेव के पुत्र के रूप में प्रसिद्ध है।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल किंचित केसा॥
अर्थ:
आप महान पराक्रमी हैं, बज्र जैसे बलवान हैं। आप बुरे विचारों को दूर करते हैं और अच्छे विचारों के साथी हैं। आपका रंग सुनहरा (सोने के समान) है, आप सुंदर वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल घुंघराले हैं।
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥
अर्थ:
आपके हाथ में वज्र और ध्वजा (झंडा) शोभा पाते हैं। आपके कंधे पर पवित्र जनेऊ है। आप शिवजी के अंश और केसरी के पुत्र हैं। आपका तेज और प्रभाव इतना है कि सारी दुनिया आपकी वंदना करती है।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
अर्थ:
आप बहुत ज्ञानी, गुणी और चतुर हैं। रामजी का काम करने को हमेशा तत्पर रहते हैं। आप रामकथा सुनने में बहुत आनंद लेते हैं। राम, लक्ष्मण और सीता आपके ह्रदय में निवास करते हैं।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज सवारे॥
अर्थ:
आपने छोटा रूप धारण कर सीता माता को दर्शन दिए, फिर विशाल रूप लेकर लंका जला दी। आपने भयंकर रूप में राक्षसों का नाश किया और भगवान राम के कार्य पूरे किए।
लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
अर्थ:
आप संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की जान बचाई। इससे रामजी बहुत प्रसन्न हुए और आपको गले से लगा लिया। रामजी ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि मुझे आप भरत के समान प्रिय हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
अर्थ:
राम जी आपको ये कहते हुए गले से लगा लेते हैं कि हजारों मुख भी आपकी महिमा का बखान नहीं कर सकते। सनक, ब्रह्मा, नारद, सरस्वती और शेषनाग तक आपकी स्तुति करते हैं।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
अर्थ:
यमराज, कुबेर और सभी दिशाओं के रक्षक तक आपकी महिमा नहीं समझ पाए। आपने सुग्रीव की मदद की और उन्हें राम से मिलवाकर राजगद्दी दिलाई।
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
अर्थ:
आपका सुझाव विभीषण ने माना और वे लंका के राजा बने – यह सबको पता है। आपने हजारों योजन दूर स्थित सूरज को मीठा फल समझकर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
अर्थ:
आपने रामजी की अंगूठी मुँह में रखकर समुद्र पार कर लिया, ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है। दुनिया के सारे कठिन काम आपकी कृपा से आसान हो जाते हैं।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
अर्थ:
आप रामजी के द्वार के रक्षक हैं। आपकी आज्ञा के बिना कोई अंदर नहीं जा सकता। जो आपकी शरण में आते हैं, उन्हें सभी सुख मिलते हैं। जब आप रक्षक हों तो किसी का डर नहीं।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
अर्थ:
आप स्वयं ही अपना तेज संभाल सकते हैं, वरना तीनों लोक आपकी हुंकार से कांपते हैं। भूत-प्रेत और बुरी शक्तियाँ आपके नाम मात्र से भाग जाती हैं।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
अर्थ:
हे वीर हनुमान! आपका नाम जपने से सभी रोग और दुख दूर हो जाते हैं। जो मन, वाणी और कर्म से आपका ध्यान करता है, आप उसे हर संकट से बचा लेते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोइ लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
अर्थ:
राम जी तपस्वी राजा हैं और आपने उनके सारे काम पूरे किए। जो भी व्यक्ति अपने मन की इच्छा लेकर आपके पास आता है, उसे अनगिनत लाभ और सुख मिलते हैं।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अर्थ:
आपका यश चारों युगों में फैला है और पूरी दुनिया में आपकी महिमा उजागर है। आप संतों के रक्षक और राक्षसों के संहारक हैं। आप रामजी के प्यारे हैं।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
अर्थ:
आप आठों सिद्धियाँ और नौ प्रकार की निधियाँ देने वाले हैं। ये वरदान माता सीता ने आपको दिया। आपके पास रामनाम रूपी अमृत है। आप सदा रामजी के सेवक बने रहें।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
अर्थ:
आपका भजन करने से रामजी की कृपा मिलती है और जन्म-जन्म के दुख मिट जाते हैं। मृत्यु के समय हनुमानजी की कृपा से भक्त रामजी के धाम को जाते हैं।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अर्थ:
किसी देवता को याद करने की जरूरत नहीं, हनुमान जी की सेवा ही सारे सुख देती है। बलशाली हनुमान जी का स्मरण करने से सारे संकट और दुख दूर हो जाते हैं।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महासुख होई॥
अर्थ:
हे हनुमानजी! बार-बार आपकी जय हो। कृपया मेरी मदद गुरु की तरह करें। जो कोई हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करता है, वह सभी बंधनों से मुक्त होकर बड़ा सुख पाता है।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥
अर्थ:
जो इस हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसे सिद्धि (सफलता) मिलती है – इसके साक्षी गौरी की ईश यानी भगवान शिव हैं। तुलसीदास सदा रामजी के सेवक हैं और वह प्रार्थना करते हैं कि हनुमानजी, कृपया मेरे ह्रदय में निवास करें।
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप॥
अर्थ:
हे पवनपुत्र हनुमान! आप संकट हरने वाले और शुभता लाने वाले हैं। कृपया राम, लक्ष्मण और सीता सहित मेरे ह्रदय में निवास करें।
हनुमान चालीसा केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि जीवन की चुनौतियों से लड़ने का एक दिव्य मंत्र है। श्रद्धा, विश्वास और नियमितता से इसका पाठ करने पर चमत्कारी लाभ मिलते हैं। दैनिक जीवन में इसे शामिल कर आप भय, तनाव और विघ्नों से मुक्त रह सकते हैं।
हनुमान चालीसा न केवल श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक अद्भुत मानसिक और आध्यात्मिक औषधि भी है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह चालीसा हनुमान जी के गुणों, पराक्रम और भक्ति का संपूर्ण चित्र है। इसे पढ़ने से मन में स्थिरता आती है, नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में आत्मविश्वास बढ़ता है।
1. संकटों से रक्षा:
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाले बड़े से बड़े संकट भी सहजता से टल जाते हैं। “संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा” यह चौपाई इस वाक्य को सार्थक करती है।
2. भय और मानसिक तनाव से मुक्ति:
जो लोग रात को डर के कारण अच्छी नींद नहीं ले पाते, उन्हें सोने से पहले इसका पाठ करना चाहिए। यह मानसिक शांति देता है और आत्मबल को बढ़ाता है।
3. नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं दूर हों:
भूत-प्रेत, नजर दोष, या कोई ऊपरी बाधा हो – हनुमान चालीसा का प्रभाव तुरंत देखने को मिलता है। घर में रोज इसका पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
4. धन, स्वास्थ्य और सफलता:
यह पाठ न केवल आत्मिक बल्कि भौतिक जीवन में भी लाभ देता है। कार्यों में सफलता, रोगों में राहत और पारिवारिक सुख की वृद्धि होती है।
सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है। मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से प्रभावी होता है।
साफ वस्त्र पहनकर, हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर पाठ करें। चाहें तो दीपक व अगरबत्ती भी जलाएं।
अगर किसी विशेष उद्देश्य से पाठ कर रहे हैं, जैसे नौकरी, विवाह या रोग से मुक्ति, तो कम से कम 40 दिन तक नियमपूर्वक करें।
अत्यंत विपत्ति के समय दिन में तीन बार या सात बार हनुमान चालीसा पढ़ना विशेष फलदायी माना गया है।
1. बिना स्नान या अशुद्ध अवस्था में पाठ न करें।
शरीर और मन की पवित्रता आवश्यक मानी जाती है।
2. जल्दी में, ध्यान भटका हुआ या बैठ-बैठे ऊंघते हुए न पढ़ें।
यह पाठ पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से किया जाना चाहिए।
3. पाठ के समय मोबाइल, टीवी या बातचीत से दूर रहें।
वातावरण शांत और ध्यान केंद्रित हो।
4. हाथ में जूठन, गंदे वस्त्र या जूते पहनकर न बैठें।
यह श्री हनुमान जी के प्रति अनादर माना जाता है।
5. चालीसा को अपूर्ण छोड़कर न उठें।
पूरा पाठ करके ही विराम लें, इससे ऊर्जा पूर्ण रूप से फलित होती है।
हनुमान चालीसा केवल एक धार्मिक स्तोत्र नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, शक्ति और आस्था का प्रतीक है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित इस चालीसा में 40 चौपाइयों के माध्यम से हनुमान जी की भक्ति और राम के प्रति उनके समर्पण का वर्णन मिलता है।
मान्यता है कि मुगल सम्राट अकबर ने एक बार तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलवाया और उनसे अपने प्रशंसा में कुछ लिखने को कहा। जब तुलसीदास जी ने इनकार किया, तो उन्हें कारागार में डाल दिया गया। इसी कारावास के दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की।
तुलसीदास जी ने जेल में रहकर 40 दिनों तक हनुमान चालीसा का पाठ किया। कहा जाता है कि चालीसवें दिन अचानक हजारों बंदरों ने फतेहपुर सीकरी में उत्पात मचाया। यह देखकर अकबर स्तब्ध रह गया। उसने तुरंत तुलसीदास जी को रिहा कर दिया और क्षमा मांगी।
एक अन्य कथा के अनुसार, तुलसीदास जी ने एक महिला को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया, जबकि उसके पति का देहांत हो चुका था। राम नाम के जाप से वह पुरुष जीवित हो गया। यह चमत्कार सुन अकबर ने तुलसीदास को फिर बुलाया और उनसे चमत्कार करने को कहा। तुलसीदास जी ने स्पष्ट किया कि वे कोई चमत्कारी साधु नहीं, केवल श्रीराम के भक्त हैं।
तुलसीदास जी को दोबारा कैद में डाला गया, लेकिन इस बार भी उन्होंने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी और कारागार में ही चालीसा का पाठ करते रहे। फिर से बंदरों के झुंड ने महल में हंगामा किया और अकबर को समझ आ गया कि यह भक्ति की महिमा है। उसने तुलसीदास को ससम्मान मुक्त कर दिया।
कहा जाता है कि हनुमान जी ने तुलसीदास जी को आशीर्वाद दिया कि जो भी इस चालीसा का श्रद्धा से पाठ करेगा, उसके जीवन से सारे संकट दूर हो जाएंगे। यही कारण है कि आज भी यह पाठ करोड़ों
हनुमान चालीसा का पाठ हर हिंदू घर में सामान्य बात है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। मान्यता है कि यदि इन नियमों का पालन सही ढंग से किया जाए, तो हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के तमाम संकट दूर हो जाते हैं।
सबसे पहले, हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना गया है। ये दोनों दिन हनुमान जी से विशेष रूप से जुड़े हुए हैं। हालांकि, श्रद्धा रखने वाले भक्त प्रतिदिन भी चालीसा का पाठ करते हैं, लेकिन यदि यह नियमपूर्वक किया जाए, तो फल कई गुना अधिक होता है।
सुबह स्नान के बाद या शाम के समय, शुद्ध और शांत वातावरण में चालीसा का पाठ करना चाहिए। रात्रि में सोने से पहले इसका पाठ विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इससे न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है, बल्कि बुरे स्वप्न, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन के संकट भी दूर होते हैं।
पाठ से पहले पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें और वहां एक लाल कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। स्वयं कुश के आसन पर बैठें और केवल एक स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा करें। दीपक जरूर जलाएं, जिसमें चमेली का तेल या शुद्ध देसी घी होना चाहिए और बत्ती लाल सूत की होनी चाहिए।
फूल लाल रंग के ही चढ़ाएं और पाठ के बाद हनुमान जी को गुड़-चने का प्रसाद अर्पित करें। यदि संभव हो तो बूंदी के लड्डू, बेसन लड्डू, मालपुआ या चूरमा भी अर्पित किया जा सकता है।
पाठ की संख्या का भी खास महत्व है। यदि आप नियमित रूप से 100 बार हनुमान चालीसा पढ़ सकें तो बहुत उत्तम, वरना 11, 9, 7, 5 या कम से कम 1 बार रोजाना पाठ जरूर करें।
यदि आप सुंदरकांड या बजरंगबाण का पाठ भी करते हैं, तो उसके नियमों को समझकर ही करें। श्रद्धा, नियम और पवित्रता से किया गया हनुमान चालीसा का पाठ जीवन में शक्ति, शांति और सफलता लाता है।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता हैं 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
देवउठनी एकादशी को देवोत्थान और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए संकल्प और नियमों की आवश्यकता पड़ती है।