गुप्त नवरात्रि में महाविद्या बगलामुखी की पूजन विशेष तंत्र साधना का समय होता है। तांत्रिक कर्म में देवी को विशेष स्थान प्राप्त हैं। देवी बगलामुखी पीताम्बरा के रुप में भी पूजी जाती है क्योंकि देवी का स्वरुप पीले रंग से अधिक वर्णित होता है। देवी के पूजन में पीले रंग का विशेष उपयोग होता है। जीवन के किसी भी प्रकार के विवाद में विजय पाने के लिए बगलामुखी की पूजन किया जाता है। यह आठवी महाविद्या के रुप में पूजी जाती है। मध्य प्रदेश में तीन मुखों वाली माता बगलामुखी का मंदिर आगर जिले की तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे पर स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्ंयत चमत्कारिक है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-समत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, हनुमान, भैरव एवं सरस्वती भी विराजमान है। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर महाराजा युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता है कि यहां कि बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है।
मां बगलामुखी की कथा
देवी बगलामुखी के अवतार को लेकर पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, सतयुग में एक बार महाविनाशकारी ब्रम्हांडीय तूफान आया, जिसकी वजह से पूरे विश्व में हाहाकार मच गया। तीनों लोक संकट में पड़ गए, और संसार की रक्षा करना असभंव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट करता जा रहा था। जब इस विनाशकारी तूफान से बचने का कोई रास्ता नहीं सूझा तो, भगवान विष्णु ने शंकर जी का स्मरण किया। तब शंकर जी प्रकट हुए, और बोले कि देवी शक्ति के अतिरिक्त कोई अन्य इस आपदा को नहीं रोक सकता। अत: आप उनकी शरण में जाएं। भगवान शिव के कहने पर विष्णु जी ने हरिद्रा सरोवर के निकट जाकर कठोर तप किया। देवी शक्ति भगवान विष्णु की साधना से प्रसन्न हुई, और बगलामुखी के रुप में अवतरित हुईं। तब जाकर सृष्टि का विनाश रुक सका।
कैसें पहुंचे बगलामुखी माता मंदिर
वायु मार्ग - निकटतम देवी अहिल्या बाई होलकर हवाई अड्डा, जो 156 किमी दूर हैं। यह मध्य प्रदेश का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है और दिल्ली, मुंबई, हैदाराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, रायपुर और जबलपुर जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं।
रेल मार्ग- रेल द्वारा इंदौर से 30 किमी पर स्थित देवास या लगभग 60 किमी मक्सी पहुंच कर भी शाजापुर जिले के गांव नलखेड़ा पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग- इंदौर से लगभग 165 किमी की दूरी पर नलखेड़ा पहुंचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।
ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी
कान्हा को तेरे नजर लग जाएगी ।
हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2024 के नवंबर माह में ये तिथि 22 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जो तंत्र-मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।
कालाष्टमी पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। जब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव समय के भी स्वामी हैं।