Logo

नवरात्रि व्रत सबसे पहले किसने रखा था

नवरात्रि व्रत सबसे पहले किसने रखा था

भगवान श्री राम ने सबसे पहले रखा था नवरात्रि का व्रत, जानिए कैसे हुई नौ दिनों के इस पर्व की शुरूआत 


नवरात्रि को हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है, जिसे नौ दिनों तक मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। 'नवरात्रि' शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है नौ रातें “नव” यानि नौ और “रात्रि” यानि रातें। इस पवित्र अवसर पर, भक्त मां दुर्गा के विभिन्न अवतारों की पूजा करते हैं, जो शक्ति, साहस, ज्ञान और सुरक्षा का स्वरूप हैं।


लंका विजय से पहले प्रभु श्री राम ने किया था नवरात्रि व्रत


नवरात्रि भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो शक्ति और साधना का प्रतीक है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, इसे सबसे पहले प्रभु श्रीराम ने किया था। ऐसी मान्यता है कि, लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले भगवान राम ने किष्किंधा के निकट ऋष्यमूक पर्वत पर देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नवरात्रि का व्रत रखा था। इसी कारण भगवान राम को ऐसा पहला राजा माना जाता है, जिन्होंने नौ दिनों तक व्रत रखा था।


नवरात्रि में उपवास और साधना से मिलती है मां दुर्गा की विशेष कृपा


नवरात्रि का व्रत पूर्ण समर्पण का एक महत्वपूर्ण मौका माना जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य की आत्मा शुद्ध होती है और उनमें धैर्य की वृद्धि होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। 

यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और आत्मशक्ति के जागरण का रूप माना जाता है। मां दुर्गा के इन नौ स्वरूपों में शक्ति, भक्ति और करुणा का गहरा संदेश छिपा हुआ है। इन नौ दिनों के दौरान जो श्रद्धालु उपवास करते हैं और साधना में लीन रहते हैं, उन्हें मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 


महिषासुर के वध से जुड़ी है नवरात्रि की शुरुआत


ऐसी मान्यता है कि, नवरात्रि का आरंभ तब हुआ था जब महिषासुर नाम के राक्षस ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। इसी संकट को देखते हुए देवताओं ने देवी दुर्गा की स्तुति कर उन्हें जागृत किया, फिर देवी ने महिषासुर का वध कर सभी को उसके उत्पात से मुक्त किया। इसी कारण नवरात्रि को शक्ति की पूजा का भी पर्व कहा जाता है।

........................................................................................................
राम कथा सुनकर जाना (Ram Katha Sunkar Jana)

जीवन का निष्कर्ष यही है,
प्रभु प्रेम में लग जाना,

राम के दुलारे, माता जानकी के प्यारे(Ram Ke Dulare, Mata Janki Ke Pyare)

जय सियाराम, बोलो जय सियाराम
जय सियाराम, बोलो जय सियाराम

राम के नाम का झंडा लेहरा है (Ram Ke Nam Ka Jhanda Lehra Hai)

राम के नाम का झंडा लहरा है ये लहरे गा
ये त्रेता में फहरा है कलयुग में भी फहरे गा ।

राम के रंग में रंगा हुआ है, अंजनीसुत बजरंग बाला (Ram Ke Rang Mein Ranga Hua Hai Anjani Sut Bajrangbala)

राम के रंग में रंगा हुआ है,
अंजनीसुत बजरंग बाला,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang