नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥1॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥2॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥3॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥4॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥5॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥6॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥7॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥8॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥9॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः॥10॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥11॥
॥ इति इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥
संकष्टी चतुर्थी व्रत जिसे संकट हारा या सकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इसे भगवान गणेश की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।
कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए मासिक जन्माष्टमी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत न केवल श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि भी लाता है।
प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ इन दिनों सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। यहां दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान के लिए एकत्रित हुए हैं।
महाकुंभ के अमृत स्नान की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक यह भव्य महाकुंभ चलेगा। धार्मिक मान्यता है कि 144 सालों बाद इस तरह का शुभ योग इस बार के महाकुंभ में बना है।