हिंदू धर्म में कालाष्टमी तिथि भगवान शिव के रक्षक और उग्र रूप काल भैरव की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2025 में यह शुभ तिथि 18 जून, बुधवार को आ रही है। इस दिन व्रत, पूजा, और मंत्र जाप करके भक्त अपने जीवन से संकटों, शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा का नाश कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव को ‘समय के स्वामी’ कहा जाता है और वे भक्तों को भय, रोग और क्लेश से मुक्ति प्रदान करते हैं। ऐसा माना गया है कि कालाष्टमी की रात को की गई आराधना शीघ्र फलदायी होती है और मंत्रों का जप विशेष फल देता है।
कालाष्टमी भगवान काल भैरव की आराधना का सर्वोत्तम दिन होता है। इस दिन की गई पूजा, मंत्र जाप और साधना सभी बाधाओं, भय और तांत्रिक प्रभावों से रक्षा करती है। इससे भक्तों को जीवन में सुरक्षा, मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
शास्त्रकार कहते हैं “मननात् त्रायते इति मंत्रः” अर्थात मनन करने पर जो त्राण दे या रक्षा करे वही मंत्र होता है। धर्म, कर्म और मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रेरणा देने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं।
मंत्रों के कई प्रकार होते हैं, जरूरत के हिसाब से इन मंत्रों का उपयोग किया जाता है। मंत्रों के प्रकार और उनके उपयोग से होने लाभों पर नज़र डालें तो आप पाएंगे ये विभिन्न रूपों में हैं।
माता लक्ष्मी, धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी, भक्तों के जीवन में सुख-शांति और वैभव लाने वाली हैं। उनकी पूजा-वंदना से सभी तरह की आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
हिंदू धर्म में मंत्र जाप का विशेष महत्व है। यह साधना का एक सशक्त माध्यम है, जो साधक को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।