Logo

काल भैरव को क्यों चढ़ाई जाती है शराब

काल भैरव को क्यों चढ़ाई जाती है शराब

उज्जैन के काल भैरव मंदिर में क्यों चढ़ाई जाती है मदिरा, जानें इसके पीछे का पौराणिक रहस्य 


महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर अपने अनोखे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवजी के पांचवें अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग 6 हजार साल पुरानी मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में भगवान काल भैरव को मदिरा अर्पित की जाती है, जो धीरे-धीरे गायब हो जाती है। यह चमत्कार वैज्ञानिकों को भी आश्चर्यचकित कर देता है। भगवान शिव के क्रोधित रूप, बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल और तंत्र-मंत्र के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को काल भैरव जयंती मनाई जाती है, जो भय का हरण करने वाले देव के रूप में प्रसिद्ध है। आइए, जानें बाबा भैरव को शराब अर्पित करने के पीछे क्या कारण है साथ ही जानेंगे इस मंदिर के पीछे की कहानी के बारे में। 


काल भैरव को क्यों चढ़ाई जाती है मदिरा? 


उज्जैन के काल भैरव मंदिर में भगवान को मदिरा अर्पित की जाती है, जो सदियों से चली आ रही परंपरा है। काल भैरव को तामसिक प्रवृति के देवता माना जाता है, इसलिए उन्हें शराब का भोग लगाया जाता है, जो बुराइयों को समाप्त करने का प्रतीक है। यहां शराब चढ़ाना संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इसे प्रसाद के रूप में नहीं लिया जाता। मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन भगवान काल भैरव को शराब अर्पित करने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं, ग्रह दोष दूर होते हैं, और कालसर्प दोष, अकाल मृत्यु और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। आप जानकर हैरान होंगे कि यहां रोजाना लगभग 2000 बोतल शराब का भोग लगाया जाता है। 


मंदिर में होता है ये चमत्कार 


काल भैरव मंदिर अष्टभैरवों में प्रमुख कालभैरव को समर्पित है, जिसका निर्माण राजा भद्रसेन ने शिप्रा नदी के तट पर करवाया था। यहां एक अनोखा चमत्कार देखा जाता है। जहां भगवान काल भैरव की मूर्ति शराब ग्रहण करती है। यह रहस्य सदियों से चला आ रहा है, लेकिन पुरातत्व विभाग और वैज्ञानिक इसका पता लगाने में असफल रहे हैं। दूर-दूर से लोग बाबा भैरव के दर्शन के लिए आते हैं, ताकि उन्हें अपने दुखों से निजात मिल सके और अनजाने भय से मुक्ति मिले। काल भैरव बाबा का आशीर्वाद शत्रुओं से निजात पाने और उन पर विजय पाने में भी कारगर है। कहा जाता है प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिक अपनी तंत्र क्रियाओं की सिद्धि के लिए आते थे। लेकिन कुछ समय बाद यह मंदिर आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया। जिसके बाद से अपने अनोखे रहस्य और चमत्कारों के कारण यह लोगों में प्रसिद्ध होता गया। काल भैरव जयंती पर यहां लोग बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते है साथ ही इस दिन मंदिर में भगवान भैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 


काल भैरव मंदिर का इतिहास 


उज्जैन के काल भैरव मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी में राजा भद्रसेन के समय से जुड़ा है, जिन्होंने युद्ध में जीत के बाद भगवान काल भैरव से की गई मनोकामना को पूरी करने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में परमार वंश के राजा भोज और मराठा शासक ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया, जिससे वर्तमान मंदिर की संरचना मराठा स्थापत्य शैली और मालवा शैली की चित्रकारी से सजी हुई है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थल है, बल्कि ऐतिहासिक अभिलेखों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उज्जैन की समृद्ध इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।

........................................................................................................
आरती श्री वैष्णो देवी मां की (Aarti of Shri Vaishno Devi Maa Ki)

जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता।
हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥

आरती प्रेतराज की (Aarti Pretraj Ki)

दीन दुखिन के तुम रखवाले, संकट जग के काटन हारे।
बालाजी के सेवक जोधा, मन से नमन इन्हें कर लीजै।

आरती श्री पितर जी की (Aarti of Shri Pitar Ji Ki)

जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।
शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥

आरती श्रीमद भगवद गीता की (Aarti Shrimad Bhagavad Geeta Ki)

जय भगवद् गीते, माता जय भगवद् गीते।
हरि हिय कमल विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang