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आरती श्री पितर जी की (Aarti of Shri Pitar Ji Ki)

आरती  श्री पितर जी की (Aarti of Shri Pitar Ji Ki)

॥ श्री पितर आरती ॥


जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।

शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥


आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे।

मैं मूरख कछु न जानू, आप ही हो रखवारे॥

जय पितरजी महाराज....


आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।

हम सब शरण हैं आपकी, सुनिए अरज हमारी॥

जय पितरजी महाराज....


देश परदेश सब जगह,आप ही करो सहाई।

काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई॥

जय पितरजी महाराज....


भक्त सभी हैं शरण आपकी,अपने सहित परिवार।

रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार॥

जय पितरजी महाराज....


जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।

शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥


पितरदेव महाराज की जय

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महाकुंभ का पहला शाही स्नान

हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन कहे जाने वाले महाकुंभ में अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है। सभी 13 प्रमुख अखाड़े प्रयागराज पहुंच भी चुके हैं। और पहले शाही स्नान के लिए तैयार है।

महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान

महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।

महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान

शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

पूजा में क्यों करते हैं अक्षत का प्रयोग

अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।

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