आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन, मर्यादा पुरुषोतम वर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की...
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि, सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि।
हरण शोक-भय, दायक नव निधि, माया रहित दिव्य नर वर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की...
जानकी पति सुर अधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक गति।
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति, एक मात्र गति सचराचर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की...
शरणागत वत्सल व्रतधारी, भक्त कल्प तरुवर असुरारी।
नाम लेत जग पावनकारी, वानर सखा दीन दुख हर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की...
कौशल्यानंदन, दशरथतनय, जानकीवल्लभ भगवान श्रीरामचंद्रजी की जय
बजरंग बलि बाबा तेरी महिमा गाते है,
नही संग कुछ लाये है, एक भजन सुनाते है,
बजरंगबली मेरी नाव चली,
करुना कर पार लगा देना ।
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।
बजरंग बाला बड़ा हो मतवाला,
म्हे फेरा थारी माला,