।। आरती ।।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दन्त दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी।।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़ें मेवा,
लडुअन के भोग लगा संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश….
अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
हार चढ़ें फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा,
लडुअन को भोग लगे संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश…..
दीनन की लाज रखो, शंभू सुतकारी,
कामना को पूर्ण करो, जाऊँ बलिहारी।।
सूर श्याम शरण आये, सफल कीजे सेवा,
लडुअन को भोग लगे संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव।।
गणेश जी की आरती का शुभ दिन और समय
आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। आरती के दौरान गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें और दीपक जलाएं। आरती के बाद, प्रसाद वितरित करें।
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मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है।
विवाह पंचमी पर केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अयोध्या और जनकपुर में विशेष उत्सव और शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं।
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। इस खास अवसर पर गणपति की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष प्रकार का व्रत भी किया जाता है।
मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत विधि- विधान से करने पर भगवान गणेश, रिद्धि-सिद्धि और विद्या का वरदान देते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत 5 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश के 12 नामों का जाप करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।