सत्य, सनातन, सुंदर, शिव! सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
आदि अनंत, अनामय, अकल, कलाधारी ।
अमल, अरूप, अगोचर,अविचल अघहारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी ।
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, तुम औघड़दानी ।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
मणिमय भवन निवासी, अति भोगी, रागी ।
सदा मसान बिहारी, योगी वैरागी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
छाल, कपाल, गरल, गल, मुंडमाल व्याली ।
चिताभस्म तन, त्रिनयन, अयन महाकाली ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
प्रेत-पिशाच, सुसेवित, पीत जटाधारी ।
विवसन, विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
शुभ्र, सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी ।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिव मुनि मन हारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
निर्गुण, सगुण, निरंजन, जगमय नित्य प्रभो ।
कालरूप केवल, हर! कालातीत विभो ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
सत-चित-आनँद, रसमय, करुणामय, धाता ।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम, अखिल विश्व-त्राता ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
हम अति दीन, दयामय! चरण-शरण दीजै ।
सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
कैलाशवासी, गंगाधर, पार्वतीपति, भक्तवत्सल भगवान श्रीशिवशम्भू की जय
“बोर भाजी आंवला, उठो देव सांवला।” ये कहावत तो हर किसी ने अपने घर में सुनी होगी। दरअसल, ये वही कहावत है जिसके द्वारा हर किसी के घर में देव उठनी ग्यारस के दिन भगवान का आह्वान होता है।
चातुर्मास यानी चौमासा में सारे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वहीं, आषाढ़ माह की आखिरी एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। साल में दो एकादशी बड़ी एकादशी मानी जाती है, जिसका महत्व साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर होता है।
एकादशी व्रत आध्यात्मिक शुद्धि से संबंधित एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाई जाती है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है जो जगत के रक्षक माने जाते हैं।