आरती अतिपावन पुराण की,
धर्म भक्ति विज्ञान खान की,
महापुराण भागवत निर्मल,
शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल,
परमानन्द-सुधा रसमय फल,
लीला रति रस रसनिधान की,
आरती अति पावन पुराण की.......
कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी,
जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ,
सेवत सतत सकल सुखकारिणी,
महा-औषधि हरि चरित गान की,
आरती अति पावन पुराण की.......
विषय विलास विमोह विनाशिनी,
विमल विराग विवेक विकासिनी,
भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी,
परम ज्योति परमात्मा ज्ञान की,
आरती अति पावन पुराण की.......
परमहंस मुनि मन उल्लासिनी,
रसिक ह्रदय रस रास-विलासिनी,
भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी,
कथा अकिंचन-प्रिय सुजान की,
आरती अति पावन पुराण की.......
बोलिये श्रीभागवत पुराण की जय
यशोदा जयंती भगवान कृष्ण के मंदिरों के साथ ही दुनियाभर में फैले इस्कॉन में भी काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को गोकुल में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
धनतेरस का नाम धन और तेरस ये दो शब्दों से बना है जिसमें धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि है और तेरस का अर्थ है पंचांग की तेरहवीं तिथि। यह त्योहार खुशहाली, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व प्रतिवर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें पूजा करके अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी सफलता एवं दीर्घायु की कामना करती हैं।
सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।