बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
आँखों के दोनों प्यालों से,
कुछ भीख मांगने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,
बालाजी तुम्हारे चरणो में,
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,
बालाजी तुम्हारे चरणो में,
मैं सेवक हूँ तुम दाता हो,
संबंध बताने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
सेवा की कोई वस्तु नहीं,
फिर भी मेरा साहस देखो,
सेवा की कोई वस्तु नहीं,
फिर भी मेरा साहस देखो,
रो रो कर आज आंसुओ का,
मैं हार चढाने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे ।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख कर, कंज पद कंजारुणम्॥
आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।
सत्य, सनातन, सुंदर, शिव! सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥