आया हरियाली तीज का त्यौहार,
महीना सावन का,
बाँध घुंघरू नाचे बहार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
उमड़ घुमड़ घनघोर घटाएं,
रिमझिम बुँदे रस बरसाए,
गावे मेघा मेघ मल्हार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
कोकिल चातक मोर चकोरे,
बुलबुल जुगनू तितलियाँ भोरें,
नाचे झूमे करे गुंजार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
वन वन में फुलवारी फुले,
राधा माधव झूला झूले,
फूलों कलियों का श्रृंगार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
सावन झूला दर्शन कीजे,
मधुप युगल हरि गायन कीजे,
जय बोलो युगल सरकार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
आया हरियाली तीज का त्यौहार,
महीना सावन का,
बाँध घुंघरू नाचे बहार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
जब भी शुभ कार्य किया जाता है तो सबसे पहले भगवान गणेश जी का ही पूजन होता है। गणेश जी से भक्त सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा किसी भी पूजा या अनुष्ठान में भी सबसे पहले गणपति को ही याद किया जाता है। कहते हैं कि यदि शुभ कार्य से पहले गणेश जी का आशीर्वाद लिया जाए तो कार्य में कोई बाधा नहीं आती।
भगवान हनुमान की पूजा में सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व है। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की आराधना में सिंदूर का प्रयोग अनिवार्य माना गया है। हनुमान जी की अधिकांश प्रतिमाओं में उन्हें केसरिया रंग के सिंदूर लगाया हुआ देखा जाता है।
शिवपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव स्वयं जल के रूप में विद्यमान हैं। जल को जीवन का आधार माना गया है और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से इसका महत्व समझा जा सकता है।
जब भी कुंभ मेले का उल्लेख होता है कल्पवास का नाम अनिवार्य रूप से लिया जाता है। कल्पवास एक आध्यात्मिक साधना और वैदिक परंपरा है जो प्राचीन भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है।