बालाजी मने राम मिलन की आस,
बतादो कब मिलवाओगे ।
बालाजी मने राम मिलन की आस,
बतादो कद मिलवाओगे ।
राम रटा था जब शबरी ने,
छोड़कर आए रामनगरी ने ।
आए वह रघुनंदन के दास,
बतादो कद मिलवाओगे ।
बालाजी मने राम मिलन की आस,
बतादो कद मिलवाओगे ।
सुग्रीव राजा ने जमाना,
तेरे कारण हुया याराना ।
ओ.. बाली की काटी साँस,
बतादो कद मिलवाओगे ।
बालाजी मने राम मिलन की आस,
बतादो कद मिलवाओगे ।
रावण का वो भाई विभीषण,
रहा करें वह दिशा दक्षिण ।
अरे.. वो रहा राम के पास,
बतादो कद मिलवाओगे ।
बालाजी मने राम मिलन की आस,
बतादो कद मिलवाओगे ।
बालाजी मने राम मिलन की आस,
बतादो कद मिलवाओगे ।
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इनके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है।
छोटी दिवाली का पावन त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली के साथ-साथ रूप चौदस, काली चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
दीपावली, जिसे आम बोलचाल में दीवाली भी कहा जाता है। ये त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है।
भारत विविध परंपराओं और संस्कृतियों का अद्भुत संगम है। यहाँ हर त्योहार सिर्फ उत्सव नहीं होता बल्कि लोक जीवन से गहराई से जुड़ी परंपराओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देने वाला होता है।