नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
ढोल झांझ मृदंगहूँ बाजे,
और बाजे शहनाई,
सजधज कर सब सखियाँ आई,
गावन लगी बधाई,
मैं भी नाचन को आई,
मैं भी गावन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
मंगल साज सजाये सखी सब,
मैया के ढिंग आए,
युग युग जीवे तेरो लाला,
ये आशीष सुनाई,
काली घटा है छाई,
सब दौड़ दौड़ कर आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अदम्य शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह महोत्सव ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है। बल्कि, यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और पौराणिक इतिहास का प्रतीक है। इसका संबंध समुद्र मंथन की उस घटना से है, जिसमें देवताओं और दैत्यों ने मिलकर अमृत प्राप्त किया था।
हिंदू धर्म में विवाह को एक विशेष संस्कार माना गया है, जो 16 संस्कारों में से एक है। यह ना सिर्फ सामाजिक बंधन है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
हिंदू धर्म में शादी केवल एक सामाजिक बंधन नहीं है। बल्कि, इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। विवाह को 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार के रूप में गिना जाता है।