आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
यमुना का पानी तोसे करता सवाल है
तेरे बिना देख ज़रा कैसा बुरा हाल है
यमुना का पानी तोसे करता सवाल है
तेरे बिना देख ज़रा कैसा बुरा हाल है
काहे तूने तोड़ लिया प्यार ओ गोविन्द
काहे तूने तोड़ लिया प्यार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
निकला है सवा मन सोना जिस कूख से
गाये बेचारी मरे चारे बिना भूख से
निकला है सवा मन सोना जिस कूख से
गाये बेचारी मरे चारे बिना भूख से
गइयाँ को दिया दुत्कार ओ मोहन
गइयाँ को दिया दुत्कार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
घर घर में माखन की जगह हाँ शराब है
कलयुगी गोपियाँ हाँ बहुत ही खराब है
घर घर में माखन की जगह हाँ शराब है
कलयुगी गोपियाँ हाँ बहुत ही खराब है
धर्म तो बना व्यापार हो गोविन्द
धर्म तो बना व्यापार हो गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
अब किसी की द्रोपदी ककी बचती ना लाज रे
बिगड़ा जमाना भये उलटे ही काज रे
अब किसी की द्रोपदी ककी बचती ना लाज रे
बिगड़ा जमाना भये उलटे ही काज रे
कंसो की बनी सरकार ओ गोविन्द
कंसो की बनी सरकार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
अपने भगतो की सुन ले पुकार ओ गोविन्द
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास का शुक्र प्रदोष व्रत 2025 में एक अत्यंत शुभ योग लेकर आ रहा है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता हैI
हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। मोहिनी एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी माना जाता है। यह एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत से जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने की त्रयोदशी तिथि (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में) को रखा जाता है। मई 2025 में पहला प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को आएगा, जो कि शुक्रवार के दिन है।