आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
नी मैं उंचिया भागा वाली,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
नी मैं राह विच नैन बिछावा,
नाल चन्दन तिलक लगावा,
नी मैं रज रज दर्शन पावा,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
वो जग दा पालनहारा,
नाल दुनिया दा रखवाला,
वो सबदे दुःख मिटाए,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
नी मैं जिंदडी कोल कुवांवा,
नाल चख चख बेर खवावा,
वो हस हस खान्दा जाए,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
नी मैं हृदय दा थाल बनावा,
नैना दी ज्योत जलावा,
नी मैं आरति आप ही गावा,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
नी मैं उंचिया भागा वाली,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
फाल्गुन’ का महीना हिंदू पंचांग का अंतिम महीना होता है। इस मास की पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में होती है। जिस कारण इस महीने का नाम फाल्गुन पड़ा है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि पर ही मां पार्वती व भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे। महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित है।
प्रत्येक महीने शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हालांकि, फाल्गुन माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में, महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। आमतौर पर यह फरवरी या मार्च महीने में आती है।