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आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया (Aaj Mithila Nagariya Nihar Sakhiya)

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया (Aaj Mithila Nagariya Nihar Sakhiya)

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,

चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!


शिश मणी मौरिया, कुण्डल सोहे कनमा,

कारी कारी कजरारी जुलमी नयनमा,


लाल चंदन सोहे इनके भाल सखिया,

चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!


श्यामल-श्यामल, गोरे- गोरे, जोड़ीया जहान रे,

अँखिया ना देखनी सुनलीं ने कान हे


जुगे जुगे, जीबे जोड़ी बेमिसाल सखिया

चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!


गगन मगन आजु, मगन धरतिया,

देखि देखि दुलहा जी के, साँवर सुरतिया,


बाल वृद्ध, नर-नारी, सब बेहाल सखिया

चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!


जेकरा लागी जोगी मुनि, जप तप कईले,

से मोरा मिथिला में पाहुन बन के अईले


आजु लोढ़ा से सेदाई इनके गाल सखिया..

चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!

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चक्रधर भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चक्रधर 12वीं शताब्दी के एक महान तत्त्वज्ञ, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक थे। महानुभाव धर्मानुयायी उन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, गुजरात के भड़ोच में हुआ था। उनका जन्म नाम हरीपालदेव था।

मां ज्वाला देवी की कथा

मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक, ज्वालामुखी मंदिर, अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। इसे 'जोता वाली मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए।

एकादशी व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।

पुत्रदा एकादशी 2025

पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए उपाय करने से सफलता मिलती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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