भादी मावस है आई,
भक्ता मिल ज्योत जगाई,
चंग मजीरा बाजे आंगणे,
ओ म्हारे चंग मजीरा बाजे आंगणे ॥
चम चम चमकातो मुखडो,
काना में कुंडल हो,
काना में कुंडल हो,
हिवड़ो हरसायो म्हारो,
भला पधारया हो,
भला पधारया हो,
बिंदिया चमके माथा में,
चुड़लो खनके हाथां में,
अमृत बरसे छे म्हारे आंगणे,
ओ दादी अमृत बरसे छे म्हारे आंगणे ॥
गंगा जल झारी थारा,
चरण पखारा हो,
चरण पखारा हो,
उँचे सिंहासन बैठी,
आरती उतारा हो,
आरती उतारा हो,
मेहंदी लगावा थारे,
चुनड़ी ओढावा थाने,
फुलड़ा बरसे छे म्हारे आंगणे,
ओ दादी फुलड़ा बरसे छे म्हारे आंगणे ॥
जो थाने भावे मैया,
भोग लगावा हो,
भोग लगावा हो,
रूच रूच जिमो दादी जी,
परदो लगावा हो,
परदो लगावा हो,
भजन सुनावा थाने,
गाकर रिझावा थाने,
कीर्तन में देखण थाने आंगणे,
ओ दादी कीर्तन में देखण थाने आंगणे ॥
भादी मावस है आई,
भक्ता मिल ज्योत जगाई,
चंग मजीरा बाजे आंगणे,
ओ म्हारे चंग मजीरा बाजे आंगणे ॥
वनवास जा रहे है, रघुवंश के दुलारे,
वर दे, वीणावादिनि वर दे ।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है।
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और शिव परिवार की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी तरह के विघ्न दूर होते हैं। इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।