भक्तों के घर कभी,
आजा शेरावाली,
कुटिया का मान,
बढ़ा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
पलकों के आसन पे,
तुझको बिठाएंगे,
हलवा पूड़ी का मैया,
भोग लगाएंगे,
भाव का ये भोग,
लगा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
इन अखियों को बस,
मैया तेरी आस है,
आएगी जरूर माता,
रानी विश्वास है,
भक्तो की आस,
पूरा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
आजा आजा मैया,
तेरा लाड लड़ाएंगे,
‘सौरभ मधुकर’ संग,
भजन सुनाएंगे,
रिश्ता ये प्रेम का,
निभा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
भक्तों के घर कभी,
आजा शेरावाली,
कुटिया का मान,
बढ़ा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
एक बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है जो उसके भविष्य को आकार देता है। यह संस्कार भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जहां ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता है ताकि बच्चे की शिक्षा और जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है, और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है, जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली उपाय है? जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रदोष व्रत की। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसका महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है।