आना हो श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,
हे गौरीसुत गजानन,
हे गौरीसुत गजानन,
मुझको ना भूल जाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना ॥
मोदक हो लड्डू अपने,
हाथों से मैं बनाऊं,
जो चाहोगे गणेशा,
तुमको मैं वो खिलाऊँ,
सेवा करूँ तुम्हारी,
सेवा करूँ तुम्हारी,
कुछ दिन यहीं बिताना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,
हे गौरीसुत गजानन,
मुझको ना भूल जाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना ॥
हर साल मेरे देवा,
सबके ही घर में आते,
कुटिया में मेरी आना,
तुम क्यों हो भूल जाते,
वादा किया जो तुमने,
वादा किया जो तुमने,
भक्तो से वो निभाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,
हे गौरीसुत गजानन,
मुझको ना भूल जाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना ॥
हम भी दीवाने तेरे,
हे गणपति गजानन,
अब के बरस हो देवा,
सूना ना रखना आँगन,
इक फेरा मेरे घर का,
इक फेरा मेरे घर का,
आकर के तुम लगाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,
हे गौरीसुत गजानन,
मुझको ना भूल जाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना ॥
हर पल मुझे जरुरत,
दुनिया में है तुम्हारी,
रखते हो लाज सबकी,
रखनी है अब हमारी,
ठोकर जगत ने मारी,
ठोकर जगत ने मारी,
चरणों में तुम बिठाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,
हे गौरीसुत गजानन,
मुझको ना भूल जाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना ॥
आना हो श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,
हे गौरीसुत गजानन,
हे गौरीसुत गजानन,
मुझको ना भूल जाना,
आना हों श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना ॥
प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। इस दिन पहला शाही स्नान भी होगा। बड़ी संख्या में साधु संत और श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर स्नान करेंगे। बता दें कि हिंदू धर्म में शाही स्नान की परंपरा बेहद पुरानी रही है।
महाकुंभ का मेला भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। इस मेले में नागा साधुओं की उपस्थिति एक अलग ही आकर्षण का केंद्र होती है। ये साधु अपने अद्भुत तप और हठ योग के लिए जाने जाते हैं। कड़ाके की ठंड में भी निर्वस्त्र रहकर ध्यान लगाना और ठंडे पानी से स्नान करना उनके लिए आम बात है।
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में एक अनोखा और रहस्यमयी मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी की विशाल लेटी हुई प्रतिमा की पूजा होती है, जो दुनिया में कहीं और नहीं देखी जाती।
कुंभ मेला, जो भारत की प्राचीन धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं का हिस्सा है, हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है।