आज सोमवार है ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
कैसे मैया पार्वती ने,
शिव शंकर को पाया है,
शिव शंकर को पाया है,
दिन और रात करी है पूजा,
तब भोला मन पाया है,
तब भोला मन पाया है,
ख़ुशी हुआ संसार है,
ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
एक भक्त ऐसा था तेरा,
मंदिर रोज ही जाता था,
मंदिर रोज ही जाता था,
रख पिंडी पे पैर वो तेरा,
घंटा रोज चुराता था,
घंटा रोज चुराता था,
खुश उससे हुआ अपार है,
ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
इक दिन दिए जो दर्शन,
वो मन में घबराया था,
वो मन में घबराया था,
चरण पड़ा तेरे वो भोले,
उठा के गले लगाया था,
उठा के गले लगाया था,
कह दिया जा बेड़ा पार है,
ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
बेल पत्र फल फुल चढ़ाकर,
खुश होती नर नारी है,
खुश होती नर नारी है,
दूध चढ़ाते भक्त जो तुम पर,
खुश होते भंडारी है,
खुश होते भंडारी है,
करते सबको प्यार है,
ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
भस्मासुर को वर देकर,
शिव अपने मन तू घबराया,
अपने मन तू घबराया,
करने भस्म उसी को तूने,
नारी रूप था अपनाया,
नारी रूप था अपनाया,
दुष्ट का किया संहार है,
ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
ऐसा भोला रूप प्रभु का,
जिस्म भभूत लगाया है,
जिस्म भभूत लगाया है,
मेरा भोला बैठा पर्वत,
मगन ध्यान में काया है,
मगन ध्यान में काया है,
पर नजरों में संसार है,
ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
आज सोमवार है ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
भोले बन भोले को मनालो,
करेंगे बेड़ा पार है,
आज सोमवार है ॥
वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की उन विशेष परंपराओं में से एक है जो स्त्री के श्रद्धा, समर्पण और पति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में स्त्रियों द्वारा पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेषकर ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता हैI
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा, सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ और वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म की सबसे प्रमुख व्रत परंपराओं में से एक है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और समृद्ध जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत का वर्णन महाभारत, स्कंद पुराण, और व्रतराज जैसे शास्त्रों में विस्तार से मिलता है।