Logo

वनवास जा रहे है, रघुवंश के दुलारे: भजन (Vanvas Ja Rahe Hai Raghuvansh Ke Dulare)

वनवास जा रहे है, रघुवंश के दुलारे: भजन (Vanvas Ja Rahe Hai Raghuvansh Ke Dulare)

वनवास जा रहे है,

रघुवंश के दुलारे,

हारे है प्राण जिसने,

लेकिन वचन ना हारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥


जननी ऐ जन्मभूमि,

हिम्मत से काम लेना,

चौदह बरस है गम के,

इस दिल को थाम लेना,

बिछड़े तो फिर मिलेंगे,

हम अंश है तुम्हारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥


प्यारे चमन के फूलों,

तुम होंसला ना छोड़ो,

इन आंसुओ को रोको,

ममता के तार तोड़ो,

लौटेंगे दिन ख़ुशी के,

एक साथ जो गुजारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥


इसमें है दोष किसका,

उसकी यही रजा है,

होकर वही रहेगा,

किस्मत में जो लिखा है,

कब ‘पथिक’ यह करि है,

होनी किसी के टारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥


वनवास जा रहे है,

रघुवंश के दुलारे,

हारे है प्राण जिसने,

लेकिन वचन ना हारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥

........................................................................................................
भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार महाभारत युद्ध में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। तब भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते हुए माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन प्राण त्याग दिए थे।

भीष्म द्वादशी पूजा विधि

हिंदू धर्म में भीष्म द्वादशी का काफी महत्व है। यह माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल रविवार, 9 फरवरी 2025 को भीष्म द्वादशी का व्रत रखा जाएगा।

कब है भीष्म द्वादशी

महाभारत में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इसलिए, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने प्राण त्यागे।

कार्तिगाई दीपम क्यों मनाते हैं

कार्तिगाई दीपम पर्व प्रमुख रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang