Logo

आरती अहोई माता जी की (Aarti Ahoi Mata Ji Ki)

आरती अहोई माता जी की (Aarti Ahoi Mata Ji Ki)

जय अहोई माता, मैया जय अहोई माता।

तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥

जय अहोई माता...


ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

जय अहोई माता...


माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, नित मंगल पाता॥

जय अहोई माता...


तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक, भवनिधि की त्राता॥

जय अहोई माता...


जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

जय अहोई माता...


तुम बिन सुख न होवे, पुत्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

जय अहोई माता...


शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।

रत्न-चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

जय अहोई माता...


श्री अहोई माँ की आरती, जो कोई नर गाता।

उर उमंग अति उपजे, पाप उतर जाता॥

जय अहोई माता...


जय अहोई माता, मैया जय अहोई माता।

तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥


वैसे तो अहोई माता की आरती करने के लिए सभी दिन शुभ माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों को विशेष माना जाता है-


  1. अहोई अष्टमी (कार्तिक मास की अष्टमी तिथि)
  2. पूर्णिमा (प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि)
  3. शुक्रवार (सप्ताह का दिन)


इसके अलावा, आप अहोई माता की आरती किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं, जैसे कि:


  1. सुबह के समय (सूर्योदय के समय)
  2. दोपहर के समय (12 बजे से 1 बजे के बीच)
  3. शाम के समय (सूर्यास्त के बाद)


अहोई माता की आरती का विशेष समय:


  1. अहोई अष्टमी के दिन सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच आरती करना विशेष शुभ माना जाता है।
  2. पूर्णिमा के दिन शाम 7 बजे से 8 बजे के बीच आरती करना विशेष शुभ माना जाता है।


आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। आरती के दौरान एकादशी माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें और दीपक जलाएं। आरती के बाद, प्रसाद वितरित करें।


अहोई माता की आरती करने से कई लाभ होते हैं, जैसे-


  1. संतान प्राप्ति: अहोई माता जी की आरती करने से संतान प्राप्ति होती है और व्यक्ति को सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है।
  2. संतान की रक्षा: अहोई माता जी की आरती करने से संतान की रक्षा होती है और व्यक्ति को अपनी संतान के लिए चिंता नहीं करनी पड़ती है।
  3. दुर्भाग्य का नाश: अहोई माता जी की आरती करने से दुर्भाग्य का नाश होता है और व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिलती है।
  4. मानसिक शांति: अहोई माता जी की आरती करने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति को अपने जीवन में अधिक स्थिरता और शांति महसूस होती है।
  5. ग्रह दोष का नाश: अहोई माता जी की आरती करने से ग्रह दोष का नाश होता है और व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिलती है।
  6. वास्तु दोष का नाश: अहोई माता जी की आरती करने से वास्तु दोष का नाश होता है और व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिलती है।
  7. अकाल मृत्यु का नाश: अहोई माता जी की आरती करने से अकाल मृत्यु का नाश होता है और व्यक्ति को दीर्घ आयु और स्वास्थ्य मिलता है।
  8. सौभाग्य की प्राप्ति: अहोई माता जी की आरती करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है।

........................................................................................................
सूर्य चालीसा (Surya Chalisa)

कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग। पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, पूजा विधि

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है और इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है।

काल भैरव जयंती: कथा और पूजा विधि

हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

सौभाग्य सुंदरी तीज 2024

सौभाग्य सुंदरी तीज उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष के तृतीया को मनाया जाता है।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang