थारो खूब सज्यो दरबार,
म्हारा बालाजी सरकार,
मैं तो आया दर्शन ताइ,
बाला झट आवो दरबार,
बेगा आओ नि बालासा,
थाने अर्ज अपार ॥
बाला तन में सिंदूर धार,
थारे मुख में नागर पान,
थारे हाथ में घोटो धार बाला,
शोभा अपरम्पार,
बेगा आओ नि बालासा,
थाने अर्ज अपार ॥
बाला में हाथां में करताल,
काना में कुण्डल धार,
सदा राम राम गुण गाए बाला,
प्रभु ने रिझाए,
बेगा आओ नि बालासा,
थाने अर्ज अपार ॥
माता अंजनी रा लाल,
बाबा पवनपुत्र हनुमान,
थारी शोभा जग में न्यारी बाला,
जो ध्याए फल पाए,
बेगा आओ नि बालासा,
थाने अर्ज अपार ॥
थारे ‘भगवत’ महिमा गाए,
चरणों में शीश नवाएँ,
म्हारा बालाजी सरकार,
थाने विनती बारम्बार,
बेगा आओ नि बालासा,
थाने अर्ज अपार ॥
थारो खूब सज्यो दरबार,
म्हारा बालाजी सरकार,
मैं तो आया दर्शन ताइ,
बाला झट आवो दरबार,
बेगा आओ नि बालासा,
थाने अर्ज अपार ॥
विश्वामित्र प्रसिद्ध सप्तऋषियों और महान ऋषियों में से एक हैं। विश्वामित्र एक ऋग्वैदिक ऋषि हैं जो ऋग्वेद के मंडल ३ के मुख्य लेखक थे।
हिंदू धर्म के अनुसार, प्रारंभिक काल में ब्रह्मा जी ने समुद्र और धरती पर हर प्रकार के जीवों की उत्पत्ति की।
सप्तऋषियों में भारद्वाज ऋषि को सबसे सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।
अत्रि (वैदिक ऋषि) ऋषि को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक और चन्द्रमा, दत्तात्रेय और दुर्वासा का भाई माना जाता है।