अजब है भोलेनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी,
सबका यहाँ गुज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
बाघ बैल को हरदम,
एक जगह पर राखे,
कभी ना एक दूजे को,
बुरी नज़र से ताके,
कही और नही देखा हमने,
ऐसा गजब नज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
गणपति राखे चूहा,
कभी सर्प नही छुआ,
भोले सर्प लटकाए,
कार्तिक मोर नचाए,
आज का कानून नही है तेरा,
अनुशाशित है सारे,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
अजब है भोलेनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी,
सबका यहाँ गुज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई व बहन एक साथ बैठकर भोजन करते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ का व्रत आया तो भाई बोला कि बहन आओ भोजन करें।
साँची ज्योतो वाली माता,
तेरी जय जय कार ।
गुड़ी पड़वा हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर पर फहराने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।