आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
हारे ये नैनो के तार,
ओझल नजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
फितरत ज़माने की,
बड़ी ही बेगैरत है,
कोई नही यार,
तू ही हमारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
जाऊं किस डगर पे मुझको,
नसीहत तो दीजिए,
छाया है अंधकार,
करना उजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
रहमत की अपनी थोड़ी,
वसीयत तो कीजिये,
कहलाते दातार,
भरा भंडारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
‘निर्मल’ की रूह से तो,
पूछ करके देखिए,
दूजा मिले ना सार,
श्याम ही गवारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
हारे ये नैनो के तार,
ओझल नजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के उग्र रूप में नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है। भारत में कई मंदिर हैं जो उनकी पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हम पांच प्रमुख नरसिंह मंदिरों की जानकारी देंगे, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
छिन्नमस्ता जयंती दस महाविद्याओं में से छठी देवी के रूप में प्रतिष्ठित देवी छिन्नमस्ता की जयंती है। इस वर्ष यह रविवार 11 मई को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से तांत्रिक साधकों और शक्ति साधकों के लिए महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।
मां छिन्नमस्ता, जिन्हें तंत्र साहित्य में दस महाविद्याओं में तीसरे स्थान पर रखा गया है, वह मां पार्वती का उग्र रूप मानी जाती हैं। उनकी उत्पत्ति की कथा अत्यंत रहस्यमय है, जो भक्तों को त्याग, बलिदान और आत्मरक्षा की दिशा में प्रेरित करती है।
झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले में स्थित रजरप्पा का छिन्नमस्तिका देवी मंदिर एक अद्भुत शक्तिपीठ है, जहां बिना सिर वाली देवी की पूजा की जाती है। यह मंदिर तांत्रिक विद्या के लिए भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान विशेष और रहस्यमय महत्व रखता है।