नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
तुम कण कण में बसे हुए हो,
तुझ में जगत समाया है ।
तिनका हो चाहे पर्वत हो,
सभी तुम्हारी माया है ।
तुम दुनिया के हर प्राणी के,
जीवन के आधार हो ।
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
सबके सच्चे पिता तुम्ही हो,
तुम्ही जगत की माता हो ।
भाई बंधू सखा सहायक,
रक्षक पोषक दाता हो ।
चींटी से लेकर हाथी तक,
सबके सिरजनहार हो ।
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
ऋषि मुनि योगी जन सब,
तुमसे ही वर पाते हैं ।
क्या राजा क्या रंक तुम्हारे,
दर पर शीश झुकाते हैं ।
परम कृपालु परम दयालु,
करुणा के आधार हो ।
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
तूफानों से घिरे पथिक प्रभु,
तुम ही एक सहारा हो ।
डगमग डगमग नैया डोले,
तुम ही नाथ किनारा हो ।
तुम केवट हो इस नैया के,
और तुम ही पतवार हो ।
नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,
श्रद्धा रुपी भेंट हमारी,
मंगलमय स्वीकार हो ।
हिंदू पंचांग में कुछ दिन विशेष संयोग और त्योहारों के कारण अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस साल 26 मई भी ऐसा ही एक दिन है, जब एक नहीं बल्कि चार बड़े धार्मिक पर्व एक साथ पड़ रहे हैं।
शनि जयंती, भगवान शनि देव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में शनि दोष या साढ़े साती जैसी स्थितियों से मुक्ति कामना करते हैं।
शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
शनि जयंती भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 27 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा, जिस दिन सुकर्मा योग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।