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बस इतनी तमन्ना है, श्याम तुम्हे देखूं (Bas Itni Tamanna Hai Shyam Tumhe Dekhun)

बस इतनी तमन्ना है, श्याम तुम्हे देखूं (Bas Itni Tamanna Hai Shyam Tumhe Dekhun)

बस इतनी तमन्ना है,

बस इतनी तमन्ना है,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


सिर मुकुट सुहाना हो,

माथे तिलक निराला हो,

गल मोतियन माला हो,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


कानो में हो बाली,

लटके लट घुंघराली,

तेरे अधर पे मुरली हो,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


बाजू बंद बाहों पे,

पैजनियाँ पाओं में,

होठों पे हसी कुछ हो,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


दिन हो या अँधेरा हो,

चाहे शाम सवेरा हो,

सोऊँ तो सपनो में,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


चाहे घर हो नंदलाला,

कीर्तन हो गोपाला,

हर जग के नज़ारे में,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


कहता है कमल ऐ किशन,

सौगात मुझे यह दे,

जिस और नज़र फेरूँ,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


बस इतनी तमन्ना हैं,

बस इतनी तमन्ना हैं,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥

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गाय को माता क्यों कहा जाता है?

हिंदू धर्म में गाय को अत्यंत पूजनीय और पवित्र माना गया है। इसे केवल एक पशु नहीं, बल्कि मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय समाज में गाय का स्थान इतना महत्वपूर्ण है कि इसकी पूजा की जाती है और इसे देवी का स्वरूप माना जाता है।

आदि शंकराचार्य से हुई है अखाड़ों की शुरुआत

कुंभ का मेला आध्यात्मिकता और धार्मिक परंपराओं का जीवंत स्वरूप है। कुंभ के अवसर पर शाही स्नान का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के साधु-संत विभिन्न अखाड़ों के माध्यम से शामिल होते हैं।

काशी को मोक्ष का द्वार क्यों माना जाता है?

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कल्पवास क्या होता है?

प्रयागराज में 13 जनवरी से कुंभ मेले की शुरुआत होने जा रही है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा समागम है, जिसमें लाखों हिंदू श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं।

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