अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ।
जबसे मिली है दया हमको इनकी,
तो राहें बदल दी मेरी जिन्दगी की ।
नजारे करम का इशारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ॥
॥ अगर श्याम सुन्दर का...॥
इन्ही के सहारे जीए जा रहे है,
नाम का अमृत पीए जा रहे हैं ।
मेरा बिगड़ा जीवन संवारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ॥
॥ अगर श्याम सुन्दर का...॥
मेरे श्याम, मेरे श्याम, मेरे श्याम,
मेरे श्याम, मेरे श्याम, मेरे श्याम ।
कोई नहीं था दुनियाँ में अपना,
कन्हिया से मिलना लगता है सपना ।
कन्हिया ने हमको जो पुकारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ॥
॥ अगर श्याम सुन्दर का...॥
भँवर में थी नैया, दिया है किनारा,
इन्ही की कृपा से चले है गुजारा ।
कृपा भरी दृष्टि से निहारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ॥
॥ अगर श्याम सुन्दर का...॥
अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ।
सनातन धर्म में किसी भी दिन उपवास या व्रत की परंपरा बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
सनातन धर्म में सप्ताह के हर एक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक शनिवार का दिन है, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
हिंदू धर्म में सप्ताह का सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में सप्ताह का आखिरी दिन यानी रविवार भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है।
हिंदू धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।