शनि जयंती भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 27 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा, जिस दिन सुकर्मा योग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। ऐसा माना जाता है कि सुकर्मा योग शनि जयंती के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाता है, जिससे आशीर्वाद और अनुकूल परिणामों में वृद्धि होती है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सुकर्मा योग 26 मई को दोपहर 2:25 बजे से शुरू होगा और 27 मई को सुबह 10:24 बजे तक रहेगा। यह योग शुभ कर्मों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है, जिससे इस दिन की पूजा और दान-पुण्य का प्रभाव दोगुना हो जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना जाता है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इसलिए जब शनि जयंती सुकर्मा योग में आती है, तो कोई भी शुभ कार्य का विशेष फल मिलता है। खास कर ऐसा गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि अमावस्या की इस शुभ तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और साधक पर पितरों की असीम कृपा बरसती है। साथ ही, यह योग उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने कर्मों के फल को सुधारना चाहते हैं।
डिगबोई की श्मशान काली से लेकर गुवाहाटी की कामाख्या देवी तक, नवरात्रि में जानिए असम के प्रसिद्ध देवी मंदिरों की कथा
असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयदशमी देशभर में मनाया जाता है। हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी अनूठी शैली से मनाया जाता है।
सिटाचल पहाड़ी पर विराजी हैं दीर्घेश्वरी देवी, नवरात्रि में असम के इन प्रमुख मंदिर में जरूर लगाएं हाजिरी
दशहरे का महत्व, उससे जुड़ी मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के विषय में विस्तृत जानकारी आपको भक्त वत्सल के विभिन्न लेखों के माध्यम से हमने दी हैं।