गिरिजा के छैया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
पूजूं मैं तुम्हे,
आरती तेरी उतारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
पान फूल मेवा से,
चरणों की सेवा से,
प्रथम तुम्हे पूजूं,
मैं छवि चित धारण,
गिरिजा के छैंया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
देव दुष्ट हन्ता हो,
जगत के नियंता हो,
शरण आऊं आपकी,
मैं पइयाँ पखारूँ,
गिरिजा के छैंया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
रिद्धि सिद्धि दाता हो,
ज्ञान के विधाता हो,
हर लो दुःख देवा,
आशा से तुम्हे निहारूं,
गिरिजा के छैंया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
गिरिजा के छैया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
पूजूं मैं तुम्हे,
आरती तेरी उतारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
वैदिक ज्योतिष में मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा पाने का विशेष अवसर माना गया है। इस दिन भक्त अपने-अपने तरीके से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं।
अर्घ कपाले झूलता,
सो दिन करले याद ।
जिसको राम नाम रटना पसन्द है,
उसको हर घड़ी आनंद ही आनंद है ॥
जिसने भी है सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया,