शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
सम्भालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करों हे दयालु गणपति ॥
ना हम में बल है ना हम में शक्ति,
ना हम में साधन ना हम में भक्ति,
तुम्हारे दर के है हम भिखारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति ॥
जो तुम पिता हो तो हम है बालक,
जो तुम हो स्वामी तो हम है सेवक,
जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति ॥
भले जो है हम तो है तुम्हारे,
बुरे जो है हम तो है तुम्हारे,
तुम्हारे हो कर भी हम दुखारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति ॥
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
सम्भालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करों हे दयालु गणपति ॥
कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण शाही स्नान होता है। जिसमें सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
12 जनवरी से प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत हो रही है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसमें पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं।
सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान की पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
देवों के देव महादेव को भांग बेहद प्रिय है। जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है, तो उन्हें भांग जरूर चढ़ाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर भगवान शिव की पूजा में भांग न हो, तो पूजा अधूरी मानी जाती है।