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गणपति गजवदन वीनायक (Ganpati Gajvadan Vinayak)

गणपति गजवदन वीनायक (Ganpati Gajvadan Vinayak)

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


माथे मुकुट निरालो थाने,

पार्वती का लाल कहावो,

गणपति दुंद दुन्दाला है,

रिद्धि सिद्धि थारे संग में सोहे,

मूसे की असवारी है ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


रतन भवर गढ़ आप विराजो,

दुखियो का दुःख दूर करो,

जो भी थारे मन में ध्यावे,

उसकी इक्छा पूर्ण करो,

म्हारी लाज भी राखो गणपति,

थाने मनसु ध्यावा जी ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


शुभ और लाभ के देने वाले,

सबकी नैया खेते हो,

मित्रमंडल थारी शरण में आयो,

क्यों ना दर्शन देते हो,

थाने खुश करने की खातिर,

‘राजू’ भजन सुणावे जी ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥

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योग शास्त्र (Yog Shaastr)

योग शास्त्र की रचना महर्षि पतंजलि द्वारा मानी जाती है।

सांख्य शास्त्र (Saankhy Shaastr)

सांख्य शास्त्र को आमतौर पर सांख्य दर्शन के नाम से जाना जाता है। ये प्राचीन काल में बहुत अधिक लोकप्रिय रहा है।

वैशेषिक शास्त्र (दर्शन) - Vaisheshik Shaastr (Darshan)

वैशेषिक दर्शन शास्त्रों में चतुर्थ नंबर का स्थान रखता है, इस शास्त्र की रचना महर्षि कणाद द्वारा की गई है।

वेदान्त शास्त्र (Vedaant Shaastr)

वेदान्त शास्त्र को महर्षि वेदव्यास द्वारा रचा गया है। इस शास्त्र में महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मासूत्र को मूल ग्रंथ माना है।

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