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गणपति मेरे अँगना पधारो (Ganpati Mere Angana Padharo)

गणपति मेरे अँगना पधारो (Ganpati Mere Angana Padharo)

गणपति मेरे अंगना पधारो,

आस तुमसे लगाए हुए है,

काज कर दो हमारे भी पुरे,

तेरे चरणों में हम तो खड़े है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


कितनी श्रद्धा से मंडप सजाया,

अपने घर में ये उत्सव मनाया,

सच्चे मन से ये दीपक जलाया,

भोग मोदक का तुमको लगाया,

रिद्धि सिद्धि को संग लेके आओ,

हाथ जोड़े ये विनती किए है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


विघ्नहर्ता हो तुम दुःख हरते,

अपने भक्तो का मंगल हो करते,

हे चतुर्भुज हे सिद्धिविनायक,

उसकी सुखो से झोली हो भरते,

रहते शुभ लाभ संग में तुम्हारे,

हाथ पुस्तक मोदक लिए है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


करते वंदन हे गौरी के लाला,

मेरे जीवन में करदो उजाला,

पिता भोले है गणपति तुम्हारे,

सभी देवों के तुम ही हो प्यारे,

इस ‘गिरी’ की भी सुध लेलो बप्पा,

काज कितनो के तुमने किए है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


गणपति मेरे अंगना पधारो,

आस तुमसे लगाए हुए है,

काज कर दो हमारे भी पुरे,

तेरे चरणों में हम तो खड़े है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥

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न्याय शास्त्र (Niyaye Sastra)

न्याय शास्त्र की रचना महर्षि गौतम द्वारा की गई थी.

योग शास्त्र (Yog Shaastr)

योग शास्त्र की रचना महर्षि पतंजलि द्वारा मानी जाती है।

सांख्य शास्त्र (Saankhy Shaastr)

सांख्य शास्त्र को आमतौर पर सांख्य दर्शन के नाम से जाना जाता है। ये प्राचीन काल में बहुत अधिक लोकप्रिय रहा है।

वैशेषिक शास्त्र (दर्शन) - Vaisheshik Shaastr (Darshan)

वैशेषिक दर्शन शास्त्रों में चतुर्थ नंबर का स्थान रखता है, इस शास्त्र की रचना महर्षि कणाद द्वारा की गई है।

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