गणपति जी गणेश नू मनाइये,
सारे काम रास होणगे,
हर काम नाल पहला ही धियाइये,
सारे काम रास होणगे,
गणपति जी गणेश नू ध्याइये,
सारे काम रास होणगे,
सारे काम रास होणगे ॥
गौरा माँ दा मान है गणपत,
शिव जी दा वरदान है गणपत,
पेहला लड्डूवा दा भोग लगाइये,
सारे काम रास होणगे,
गणपति जी गणेश नू ध्याइये,
सारे काम रास होणगे ॥
गणपति वरगा देव ना दूजा,
सबतो पहले होणदि पूजा,
गजमुख जी गुण सारे गाइये,
सारे काम रास होणगे,
गणपति जी गणेश नू मनाईये,
सारे काम रास होणगे ॥
चमका मारे सोहणा वेशे,
कुण्डला वाले काले केशे,
धूल मत्थे नाल चरणा दी लाइये,
सारे काम रास होणगे,
गणपति जी गणेश नू मनाईये,
सारे काम रास होणगे ॥
गणपति जी गणेश नू मनाइये,
सारे काम रास होणगे,
हर काम नाल पहला ही धियाइये,
सारे काम रास होणगे,
गणपति जी गणेश नू ध्याइये,
सारे काम रास होणगे,
सारे काम रास होणगे ॥
श्याम के बिना तुम आधी,
तुम्हारे बिना श्याम आधे,
नरसिंह भगवान हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से चौथा अवतार हैं। उन्हें आधा मानव और आधा सिंह के रूप में दर्शाया जाता है। यह एक ऐसा अवतार था जो अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए लिया गया था।
भगवान परशुराम का जन्म राजा जीमूतवाहन और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। वे ब्राह्मण कुल से थे, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र में शस्त्र-विद्या का ज्ञान और युद्धकला का अभ्यास था। उन्हें भगवान विष्णु के दशावतार में एक माना जाता है। परशुराम जी ने भगवान शिव से भी शिक्षा ली थी।
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,