शनि जयंती, भगवान शनि देव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में शनि दोष या साढ़े साती जैसी स्थितियों से मुक्ति कामना करते हैं। हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाने वाली यह जयंती, हिंदू पंचांग के आधार पर 2025 में 27 मई को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि का प्रारंभ 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 से होगा और अमावस्या तिथि 27 मई 2025 को सुबह 08:31 पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, सूर्योदय तिथि को अधिक महत्व दिया गया है और क्योंकि 27 मई, मंगलवार को अमावस्या का सूर्योदय है, इसलिए शनि जयंती इसी दिन मनाई जाएगी।
शनि देव को कर्मफलदाता और न्याय के देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि वे व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं, चाहे वह सुख हो या दुख। इसलिए इस दिन विशेष रूप से कुछ उपाय किये जाते हैं।
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ,
रखी चरना दे कोल रखी चरना दे कोल,
मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥
मेरा बजरंगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है,
मेरा भोला बड़ा मतवाला,
सोहे गले बीच सर्पों की माला ॥