मेरा बजरंगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है,
बड़ा अलबेला है,
बड़ा ही अलबेला है,
चाहे कितना बड़ा हो काम,
वो करता अकेला है,
मेरा बजरँगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है ॥
भीर पड़ी जब राम पे भारी,
रावण ने हर ली सिया महतारी,
लाए खोज सिया की,
राम का मिटाया झमेला है,
मेरा बजरँगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है ॥
अशोक वाटिका में वो ललकारा,
रावण के सैनिकों को भी मारा,
किसी से भी एक भी वार,
गया ना झेला है,
मेरा बजरँगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है ॥
लक्ष्मण को जब मूर्छा आई,
विकल हो गए तब रघुराई,
लाए संजीवनी का पर्वत,
उठा के अकेला है,
मेरा बजरँगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है ॥
कहे ‘श्याम’ राम का है वह दीवाना,
सिया जी ने इसे पुत्र ही माना,
सियाराम बसें जिस मन में,
वो भी नवेला है,
मेरा बजरँगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है ॥
मेरा बजरंगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है,
बड़ा अलबेला है,
बड़ा ही अलबेला है,
चाहे कितना बड़ा हो काम,
वो करता अकेला है,
मेरा बजरँगी हनुमान,
बड़ा ही अलबेला है ॥
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं।
सनातन धर्म में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार के लिए हर घर में साफ सफाई और सजावट शुरू हो जाती है।
पूरे भारतवर्ष में दीपावली का त्योहार बहुत ही आनंद, उत्साह और उम्मीद के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु विभिन्न प्रकार के जप- तप, हवन एवं पूजन किए जाते हैं।
समुद्र मंथन के दौरान जब असुर और देवताओं में स्पर्धा हो रही थी, तब माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। माता लक्ष्मी के प्रताप से समस्त जगत बिजली की तरह जगमगा उठा था।