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मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ - शब्द कीर्तन (Mehra Waliya Rakhi Charna De Kol)

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ - शब्द कीर्तन (Mehra Waliya Rakhi Charna De Kol)

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ,

रखी चरना दे कोल रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल


मेरी फ़रयाद तेरे दर अगे होर सुनावा किन्हु,

खोल न दफ्तर ऐबा वाले दर तो थक न मेनू,

दर तो थक न मेनू रखी चरणा दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ


तेरे जेहा मेनू होर न कोई मैं जेहे लख तेनु,

जे मेरे विच ऐब न हुँदै तू बखशेंदा किन्हु ,

तू बखशेंदा कहणु रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ


जे ओगन वेखे सहिभा ता कोई नही मेरी थाओ,

जे ते रोम शरीर दे ओह तो वध गुनाहों,

ओह तो वध गुन्हाओ रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल


औखे वेले कोई नही न बाबुल वीर न माओ,

सबे थके देवदे मेरी कोई न पकड़े बाहों,

मेरी कोई न पकड़े बाहों रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल


तू पापी पार लंगाया तेरा बक्शन हारा नाओ,

बिन मंग्या सब कुछ देवदा मेरा ठाकुर अगम अगाहो,

मेरा ठाकुर अगम अगाहो रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल


वेख न लेख मथे दे मेरे करमा ते न जावी,

रखी लाज बिरद दी सतगुरु अपनी भगती लावी,

अपनी भगती लावी रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल


लंग गया गुरु कलगियाँ वाला अखी आगे सियो,

जानी पीछे जान आसा दी नैना रास्ते गाइयो,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल


उचे टीले चड चड वेखा बिट बिट अखी झाका,

दर्द विछोडे प्रीतम वाले मैं रो रो मारा हाका,

मैं रो रो मारा हाका रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ


रास्ते दे विच गुरु जी तेरे एह दिल फर्श विशावा,

सोहने चरण तुहाडे जोड़ा एह दोवे नैन बनावा,

एह दो नैन बनावा रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ


जवानी गई भुड़ापा आया उमरा लगी किनारे,

बीते जो तेरे चरना दे वोच सोई भले दिहाड़े,

सोई भले दिहाड़े रखी चरना दे कोल,

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ

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चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना कब करें

जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, जीवन में व्याप्त सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना से होती है।

चैत्र नवरात्रि पर पढ़ें मां दुर्गा की उत्पत्ति की कथा

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025, रविवार से शुरू होगी। जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना की जाती है, जो 9 दिनों तक चलेंगे। बता दें कि देवी दुर्गा को शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2025 के नियम

चैत्र नवरात्रि का पर्व भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है, जिसमें भक्तजन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।

अष्टमी-नवमी एक ही दिन क्यों पड़ेगी

चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इन दिनों में विशेष पूजा, उपवास और साधना करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

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