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श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ (Shree Ganpati Maharaj Mangal Barsao)

श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ (Shree Ganpati Maharaj Mangal Barsao)

श्री गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ,

शिव जी के प्यारे,

मैया गौरा के दुलारे,

देवों के सरताज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


प्रथम गजानंद तुमको मनाऊँ,

विनती करूँ कर जोड़ के बुलाऊँ,

सफल करो सब काज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


रिद्धि और सिद्धि दोनों साथ में लाना,

शुभ और लाभ को भूल ना जाना,

मूषक पर चढ़ आज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


पुष्पों के हार देवा तुम्हे पहनाऊं,

लाडू और मोदक से भोग लगाऊं,

धुप दिप धरूँ साज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


भक्त तुम्हारे मिल महिमा गाते,

मधुर मधुर देवा भजन सुनाते,

ढोल मृदंग रहे बाज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


‘अमर’ तुम्हारे है चरणों का चाकर,

दरश प्रभु दिखला दो आकर,

रख लो हमारी लाज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


श्री गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ,

शिव जी के प्यारे,

मैया गौरा के दुलारे,

देवों के सरताज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥

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मोहिनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। मोहिनी एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी माना जाता है। यह एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

मई 2025 एकादशी व्रत लिस्ट

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत से जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

मई 2025 प्रदोष व्रत लिस्ट

हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने की त्रयोदशी तिथि (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में) को रखा जाता है। मई 2025 में पहला प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को आएगा, जो कि शुक्रवार के दिन है।

त्रिशूर पूरम त्योहार का महत्व

भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी अलग परंपरा और संस्कृति है। केरल का त्रिशूर पूरम ऐसा ही एक रंगीन और भव्य उत्सव है, जो न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण होता है।

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