सेवा में गुजरे,
वक्त हनुमान का,
ऐसा है सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का ॥
राम पे जब विपदा आई,
हर मुश्किल आसान किया,
हर्षित होकर रघुराई,
हनुमत को सम्मान दिया,
हनुमत को सम्मान दिया,
भाई तू तो निकला,
है बड़े काम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का ॥
राम नाम की ओढ़ चुनर,
बनके राम का मतवाला,
पाँव में बांधे ये घुंघरू,
मस्ती में नाचे बाला,
मस्ती में नाचे बाला,
बनके दीवाना,
ये तो राम नाम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का ॥
चरणों में ये रहते सदा,
सिंहासन पे राम सिया,
‘कुंदन’ सब कुछ हनुमत ने,
प्रभु राम पे वार दिया,
प्रभु राम पे वार दिया,
रखता ना ध्यान देखो,
अपने आराम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का ॥
सेवा में गुजरे,
वक्त हनुमान का,
ऐसा है सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
ऐसा हैं सेवक श्री राम का ॥
होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।
हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन से पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम का उत्सव मनाता है। इस त्योहार के दौरान, एक पारंपरिक प्रथा है जिसमें गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।