मेरी फरियाद सुन भोले,
तेरे दर आया दीवाना,
मन की मुरादें पूरी कर,
सिवा तेरे ना कोई ठिकाना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
कैसे मनाऊं तुझको भोले,
जानू ना तेरी पूजा,
तुझपे अर्पण जीवन मेरा,
तुझ बिन ना कोई दूजा,
मेरी अर्जी सुन भोले,
है हँसता सारा ज़माना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
सच्चे मन से आया भोले,
दर्शन करने मैं तेरा,
दूध चढ़ा के तुमको रिझाऊं,
सुन संदेसा मेरा,
ये ‘राजा गोहेर’ मांगे प्रभु,
चरण धूलि का नजराना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
मेरी फरियाद सुन भोले,
तेरे दर आया दीवाना,
मन की मुरादें पूरी कर,
सिवा तेरे ना कोई ठिकाना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर में माता सती के शरीर का कोई अंग नहीं बल्कि उनका आभूषण हार गिरा था। यहां माता के देवी नंदिनी और शिव के नंदकिशोर स्वरूप की पूजा होती है।
अवंती मां शक्तिपीठ मंदिर, मध्य प्रदेश के प्राचीनतम शहर उज्जैन में स्थित है। इसे गढ़ कालिका मंदिर भी कहा जाता है।
मध्य प्रदेश में मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक कालमाधव शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 6000 साल पहले हुई थी।
शोणदेश शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित दूसरी शक्तिपीठ है। इसे नर्मदा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।