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देवी के नर्मदा स्वरूप की होती है पूजा, भगवान शिव का असितांग अवतार भी यहीं (Devee Ke Narmada Svaroop Ke Hote hai Pooja, Bhagawan Shiv Ka Asitaang Avataar Bhee Yaheen)

देवी के नर्मदा स्वरूप की होती है पूजा, भगवान शिव का असितांग अवतार भी यहीं (Devee Ke Narmada Svaroop Ke Hote hai Pooja, Bhagawan Shiv Ka Asitaang Avataar Bhee Yaheen)

मध्य प्रदेश में मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक कालमाधव शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 6000 साल पहले हुई थी। माना जाता है कि यहां माता सती का बायां कूल्हा गिरा था।


कालमाधव मंदिर में देवी सती को काली के रूप में और भगवान शिव असितांग के रूप पूजा जाता है। कालमाधव काली शक्तिपीठ मंदिर की आंतरिक वेदी पर देवी नर्मदा का एक प्रतीक है। जो चारों ओर से चमकदार मुकुट से ढका हुआ है। सफेद पत्थर से बना यह मंदिर तालाबों से घिरा हुआ है, जो इसे एक बेहतरीन जगह बनाता है।


अमरकंटक, मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर जबलपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित हैं। जो रेल, सड़क और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रमुख अन्य शहरों से भी अमरकंटक की कनेक्टिविटी दुरुस्त है।


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कामदा एकादशी पर केले के पेड़ की पूजा का महत्व

कामदा एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

कामदा एकादशी अप्रैल 2025

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।

8 से 14 अप्रैल 2025 व्रत/त्योहार

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अप्रैल साल का चौथा महीना होता है। अप्रैल का दूसरा हफ्ता विभिन्न त्योहारों और उत्सवों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे।

कामदा एकादशी 2025 उपाय

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है, और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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