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राधिका गोरी से बिरज की छोरी से - बाल लीला (Bal Leela Radhika Gori Se Biraj Ki Chori Se)

राधिका गोरी से बिरज की छोरी से - बाल लीला (Bal Leela Radhika Gori Se Biraj Ki Chori Se)

राधिका गोरी से बिरज की छोरी से,

मैया करादे मेरो ब्याह

उम्र तेरी छोटी है, नज़र तेरी खोटी है,

कैसे करादू तेरो ब्याह


जो नहीं ब्याह कराये, तेरी गैया नहीं चराऊ

आज के बाद मेरी मैया तेरी देहली पर न आऊँ

आएगा रे मज़्ज़ा रे मज़्ज़ा अब जीत हार का

॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥


चन्दन की चौकी पर मैया तुझको बिठाऊँ

अपनी राधा से मैं चरण तेरे दबवाऊं

भोजन मैं बनवाऊंगा बनवाऊंगा, छप्पन प्रकार के

॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥


छोटी सी दुल्हनिया जब अंगना में डोलेगी

तेरे सामने मैया वो घूँघट न खोलेगी

दाऊ से जा कहो जा कहो बैठेंगे द्वार पे

॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥


सुन बातें कान्हा की मैया बैठी मुस्काएं

लेके बलैयां मैया हिवडे से अपने लगाये

नज़र कहीं लग जाये न लग जाये न मेरे लाल को

॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥


राधिका गोरी से बिराज की छोरी से

कान्हा कारादू तेरो बियाह

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देव दिवाली पर कितने दीप जलाएं

देव दीपावली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस के संहार की याद में मनाया जाता है।

देव दिवाली शुभ योग

हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला देव दिवाली पर्व भगवान शिव की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्गलोक में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।

देव दिवाली पितृ कृपा

देव दिवाली, जो कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनायी जाती है, भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।

देव दिवाली की कथा

हिंदू धर्म में देव दिवाली का पर्व विशेष धार्मिक महत्व है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही किया था। तब देवताओं ने प्रसन्न होकर दिवाली मनाई।

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