शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे,
शिव शंकर की मूरत ला दे ।
मूरत ऐसी जिस के सर से,
निकले गंगा धरा ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ वो डमरू वाला,
तन पे पहने मृग की छाला ।
रात मेरे सपनो में आया,
आ के मुझ को गले लगाया ।
गले लगा कर मुझ से बोला,
मैं हूँ तेरा रखवाला ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे,
शिव शंकर की मूरत ला दे ।
मूरत ऐसी जिस के सर से,
निकले गंगा धरा ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ वो मेरा स्वामी,
मैं उस के पट की अनुगामी ।
वो मेरा है तारण हारा,
उस से मेरा जग उजारा ।
है प्रभु मेरा अन्तर्यामी,
सब का है वो रखवाला ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे,
शिव शंकर की मूरत ला दे ।
मूरत ऐसी जिस के सर से,
निकले गंगा धरा ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
बगलामुखी जयंती वैशाख शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है, जो देवी बगलामुखी को समर्पित है। वह दस महाविद्याओं में से आठवीं देवी हैं और श्री कुल से संबंधित हैं। देवी बगलामुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। उनकी साधना से स्तंभन की सिद्धि प्राप्त होती है और शत्रुओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या हैं, जो पूर्ण जगत की निर्माता, नियंत्रक और संहारकर्ता हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन की अनेकों बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम को समर्पित हैI
परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम की पूजा को समर्पित है। परशुराम द्वादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।