दरस एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
इतना बताओ शम्भू मेरे,
तुमने कहाँ कहाँ डाले डेरे,
मुझे वो द्वार बताना रे,
शिव शंकर डमरू वाले,
दरश एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
भोले कितने धाम तुम्हारे,
तुमको ढूंढ ढूंढ के हारे,
तेरा दरबार मिला ना रे,
शिव शंकर डमरू वाले,
दरश एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
विनती सुनो महाकालेश्वर,
दर्शन दे दो ओम्कारेश्वर,
तेरी मैं हुई दीवानी रे,
शिव शंकर डमरू वाले,
दरश एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
कर दो किरपा काशीनाथ,
चित भूमि के बैदनाथ,
सोया भाग जगाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले,
दरश एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
मुझको बता दो श्री गणेश,
मिलेंगे कहाँ पे शिव नागेश,
मुझे उनसे मिलवाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले,
दरश एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
बारह शिवलिंगो के रूप,
मुझको दिखा दो सभी स्वरुप,
मुझे तेरा ही सहारा रे,
शिव शंकर डमरू वाले,
दरश एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
दरस एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में एक अनोखा और रहस्यमयी मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी की विशाल लेटी हुई प्रतिमा की पूजा होती है, जो दुनिया में कहीं और नहीं देखी जाती।
कुंभ मेला, जो भारत की प्राचीन धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं का हिस्सा है, हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है।
प्रयागराज, जिसे तीर्थों का राजा कहा जाता है, आस्था और श्रद्धा का एक प्रमुख केंद्र है। यह ऐतिहासिक स्थल त्रेता युग से जुड़ा हुआ है, जब भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान पवित्र गंगा तट पर कदम रखा था।
प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में देश-विदेश से साधु-संत आ रहे हैं। इनमें से एक हैं मध्य प्रदेश के एंबेसडर बाबा। ये अपनी 52 साल पुरानी एंबेसडर कार से आए हैं और हर जगह इनकी कार ही सबसे ज्यादा लोगों को आकर्षित करती है।