बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
यह ना चाहूँ की, मुझ को खुदाई मिले,
यह ना चाहु, मुझे बादशाही मिले ।
ख़ाक दर की मिले ये मुकद्दर मेरा,
इससे बढ़कर बताओ क्या सौगात है ॥
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
हो गुलामी अगर आले दरबार की,
ये खुदाई भी है बादशाही भी है ।
दासी दर की भिखारिन बने जिस वक्त,
इससे बढकर बताओ की क्या बात है ॥
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
गोविन्द मेरो है गोपाल मेरो है ।
श्री बांके बिहारी नंदलाल मेरो है ॥
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
अखाड़े सनातन धर्म में साधु संतों का बड़ा केंद्र है। यही से साधु संत अपनी दीक्षा पूरी कर संन्यास धारण करते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 13 अखाड़ों को मान्यता दे रखी है। यह 13 अखाड़े भी 3 संप्रदाय में बंटे हुए हैं।
प्रयागराज में अब जल्द ही महाकुंभ आरंभ होने जा रहा है और अभी से ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। इस पवित्र नगरी में भक्ति का रंग चरम पर देखने को मिल रहा है। इसी बीच, भक्त वत्सल संस्था एक अद्भुत कार्य कर रही है।
महाकुंभ, भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है। हर बार जब यह महाकुंभ लगता है, तो लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
आपने अक्सर साधु-संतों को अजीबोगरीब मुद्राओं में, शरीर को कष्ट देते हुए देखा होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि वे ऐसा क्यों करते हैं? क्या आप जानते हैं कि यह सब हठयोग से जुड़ा हुआ है?