प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा,
जैसे चितवत चंद्र चकोरा,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥
प्रभु जी तुम मोती हम धागा,
जैसे सोनहिं मिलत सोहागा,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती,
जाकी जोति बरै दिन राती,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा,
ऐसी भक्ति करे ‘रैदासा’,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥
यशोदा माँ के होयो लाल,
बधाई सारे भक्ता ने,
ये अटल भरोसा प्यारे,
खाली ना जाएगा,
वैकुण्ठ धाम एक ऐसा स्थान है जहां कर्महीनता नहीं है, निष्क्रियता नहीं है। कहते हैं कि मरने के बाद पुण्य कर्म करने वाले लोग स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं। सनातन धर्म में बैकुंठ धाम की बहुत चर्चा होती है।
हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,